Monday, May 4, 2009

शायरियाँ

ऎसा नहीं की आप याद आते नहीं
खता बस इतनी है कि हम बताते नहीं
आपकी दोस्ती अनमोल है हमारे लिए
आप समझते हो इसलिए हम जताते नहीं ।

पंछी पिंजरॆ से छुटकर उड जाएँगे
मगर कुछ परिंदें रह-रहकर भी याद आएंगे
यहाँ आकर रहने की खुशियाँ तो है
मगर अफ्सॊस है कि आप जैसा दोस्त कहाँ से पाएंगे?

एक बार हम निकले शहर में घूमने
दिल में कुछ अरमान थे...अरमान थे
एक तरफ था झोपडा, एक तरफ श्मशान थे
पैर तले आई हड्डी उसके ब्यान थे
कि चलने वाले संभल कर चल
हम भी कभी इंसान थे ।

- निकेश कुमार. 9 - B Migrated Student [2008-09]

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