Monday, February 2, 2009

मित्रता

सोच समझ कर मित्र बनाओ
फिर वह मित्रता सदा निभाओ
कठिनाई में मित्र का साथ दो
मित्र की खुशी में खुशी मनाओ
मित्रता में हानि-लाभ न देखो
मित्रता को न व्यापार बनाओ
मित्रता का वास्ता दे कर किसी से
कोई अनुचित कार्य न कभी कराओ
मित्रता एक पवित्र रिश्ता हैं
इसका स्तर न कभी गिरओ।

- दीपिका गौर. ९ वी ब विभाग

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