Monday, February 2, 2009

शायरियाँ

मंजिल उन्ही को मिलती हैं
जिनके सपनॊ में दम होता हैं।
पैरों से नहीं; होंसलॊं से
उडान होती हैं।

दोस्ती गज़ल हैं गुनगुनाने के लिए
दोस्ती नग़मा हैं सुनाने के लिए
ए ज़ज़्बा हैं जो सबको नहीं मिलता
क्योंकि हौसला चाहिए दोस्ती निभाने के लिए!

पा लेंगे हम अपनी मंजिल
कितनी ही कठिनाई में
कितना कुछ है शेष
जीवन की गहराई में।

- माया गोदारा. ९ वी ब विभाग

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